In Indian philosophy, life is full of suffering, and the main cause of it is desire. The Substance, a 2024 satirical horror film directed by Coralie Ferzat, highlights one such universal desire—the fear of ageing. The film shows how the fear of ageing haunts people deeply, especially in an industry that prizes youth above all else. The Substance was nominated for the Palme d’Or at the Cannes Film Festival 2024 and won the award for best screenplay, reflecting its unique perspective on this timeless fear.
The story focuses on Elizabeth Sparkle, a famous Hollywood actress who is dropped from her long-running aerobics TV show because of her age. Fearing her losing fame, Elizabeth resorts to a dangerous black market drug that promises to restore her youth. But the path this choice takes her on is physically and mentally horrific. The film uses Elizabeth’s transformation to symbolise society’s obsession with staying young and the devastating costs that come with it.
Demi Moore and Margaret Qualley give extremely impressive performances that capture Elizabeth’s desperation and vulnerability perfectly. Their acting brings the character’s degradation to life with realism, and shows how the pressure to look young can consume someone. The horror here is not just in Elizabeth’s physical transformation, but in what she is willing to do to stay relevant. This central fear of ageing and losing one’s identity feels very real, and the film’s body horror elements make it even more disturbing.
Ferzat’s use of sound and visuals further enhances this feeling. The film has little dialogue, allowing the background score to fill the silence and convey emotion and tension without words. The cinematography and prosthetics combine to show Elizabeth’s transformations in a way that is not only shocking but unforgettable, making the viewer feel just how deep she has fallen into. The combination of eerie sound, elaborate makeup, and terrifying visuals makes it feel as if the film is speaking directly to the viewer.
The Substance criticises not just one person’s fear of ageing, but also the entire entertainment industry’s rigid view of beauty and youth. The film shows how society puts pressure on artists to remain young and thus exposes the dark side of fame, where people are often overlooked. The film suggests that this pressure can lead people down dark paths, where they can completely lose their identity.
For many, The Substance may become a classic because it dares to talk about a subject we often deny—the fear of ageing. The film ends with a powerful lesson , reminding us that life is about change and acceptance, and if we desire to control everything, it can lead us down dangerous paths. In Elizabeth’s journey, we see a reflection of our own anxieties: if we let our desires get out of control, we can become monsters.
In Elizabeth’s journey, we see a reflection of our own anxieties: if we let our desires get out of control, we can become monsters.
भारतीय दर्शनर्श मेंकहा जाता हैकि जीवन दखु ों सेभरा हुआ है, और इन दखु ों का मख्ु य कारण होती हैंहमारी इच्छाएं। फि ल्म The Substance (द सब्सटेंस) 2024 की एक शानदार और डरावनी फि ल्म है, जो इसी मलू भतू इच्छा—बढ़ुापेके डर—को उठाती है। यह फि ल्म उस गहरेडर को उजागर करती है, जो समाज में लगातार यवु ा रहनेके दबाव के कारण लोगों के भीतर बसा हुआ है। The Substance को 2024 कान्स फि ल्म फेस्टि वल मेंपाम द’ऑर के लि ए नामांकि त कि या गया था और इसेबेस्ट स्क्रीनप्लेका अवार्ड भी मि ला, जो इसके अनोखेदृष्टि कोण को साबि त करता है।
फि ल्म की कहानी हैएलि ज़ाबेथ स्पार्कल की, जो एक प्रसि द्ध हॉलीवडु एक्ट्रेस हैऔर अपनी उम्र के कारण अपनेलबं ेसमय सेचल रहेएरोबि क्स टीवी शो सेबाहर कर दी जाती है। स्टारडम को खोनेका डर उसेएक खतरनाक पदार्थ की ओर मोड़ देता है, जो उसेअपनी जवानी फि र सेवापस पानेका वादा करता है। लेकि न यह रास्ता एलि ज़ाबेथ को शारीरि क और मानसि क रूप सेएक ख़ौफ़नाक सफर पर लेजाता है। फि ल्म इस सफ़र के माध्यम सेसमाज के उस दबाव को दि खाती है, जो हमेशा हमेंयवु ा और आकर्षकर्ष बनेरहनेके लि ए मजबरू करता है, और इसके भयानक परि णामों को भी उभारती है।
डमे ी मरू और मार्गरर्ग ेट क्वाली की अदाकारी एलि ज़ाबेथ के डर और असरुक्षा को परूी तरह सेजी उठती है। उनके अभि नय मेंएक ऐसी गहरी भावना है, जो इस पात्र की अदं रूनी टूटन को सामनेलाती है। वेहमेंदि खाती हैंकि यवु ाओंकी खोई हुई चमक को पानेके लि ए कोई भी हद पार की जा सकती है। यह फि ल्म केवल एलि ज़ाबेथ के शारीरि क परि वर्तनर्त का डर नहींदि खाती, बल्कि इसके जरि ए वह गहरेमानसि क सघं र्ष को भी दर्शा ती है, जो यह सोच पदै ा करता हैकि हम कि तनेअजनबी हो सकतेहैंअपनी ही इच्छाओंसे।
फि ल्म का साउंड डि जाइन इसकी प्रभाव को और बढ़ातेहैं। यहांसवं ाद बहुत कम हैं, और अधि कांश भावनाएं बकै ग्राउंड म्यजिूजिक और दृश्य रूप सेव्यक्त होती हैं। सि नेमाटोग्राफी और प्रॉस्थेटि क मेकअप का इतना शानदार उपयोग कि या गया हैकि एलि ज़ाबेथ के शारीरि क परि वर्तनर्त दर्शकर्श ों के दि लों को हि ला देतेहैं। इस डरावने दृश्य-श्रव्य सयं ोजन सेफि ल्म बि ल्कुल ऐसी महससू होती है, जसै ेवो सीधेदर्शकर्श के दि ल तक पहुंच रही हो।
The Substance सि र्फ एक महि ला के बढ़ुापेके डर को नहींदर्शा ती, बल्कि यह फि ल्म परूी फि ल्म इंडस्ट्री और समाज की उस मानसि कता की आलोचना करती है, जहांकेवल यवु ा और सदंुर लोगों को ही आदर मि लता है। यह दि खाती हैकि इस दबाव के कारण लोग कैसेखदु को खो बठै तेहैं, और कि स हद तक वेजाने-अजं ानेअपने अस्ति त्व को खोनेकी तरफ बढ़ सकतेहैं।
फि ल्म हमेंयह सि खाती हैकि हम अपनी इच्छाओंको अगर नि यत्रं ण मेंनहीं रखेंगेतो येहमेंखतरनाक रास्तों पर लेजा सकती हैं। The Substance आनेवालेसमय मेंएक क्लासि क फि ल्म बन सकती है, क्योंकि यह हमारी सबसेगहरी, सबसेअनकही चि तं ाओंपर रोशनी डालती है—वह डर जो हम बढ़ुापेसेजड़ुी कि सी भी बात पर बात करनेसेबचतेहैं। फि ल्म के अतं में, हमेंयह समझनेको मि लता हैकि जीवन परि वर्तनर्त और स्वीकृति का नाम है, और अगर हम अपनी इच्छाओंको अनि यत्रिं त्रित कर दें, तो हम उन राक्षसों मेंबदल सकतेहैंजि नसे हम डरतेहैं।
Mohit Mishra
Prior to studying under noted cinematographer “Kaku” Rajesh Shah, he had passed the written test of the FTII entrance exams on two occasions but succeeded in failing both interviews.
Mohit was a student organiser for the second edition of the Kautik International Film Festival. He is on the verge of making his debut as a filmmaker.
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